।। जैन साहित्य ।।

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1. प्रथमानुयोग:-

महापुरूषों के जीवन चरित्र द्वारा वीतरागमार्ग का पोषण किया गया है। यह जैन साहित्य के इतिहास एवं कथापक्ष का प्रतिनिधित्व करता है।

आदिपुराण ;जिनसेनाचार्यद्ध
उत्तर पुराण ;गुणभद्राचार्यद्ध
पद्मपुराण ;रविषेणाचार्यद्ध
हरिवंशपुराण ;जिनसेनाचार्यद्ध
पाण्डवपुराण, महावीरपुराण ;शुभचन्द्राचार्यद्ध
यशस्तिकलचम्पू ;सोमदेवसूरिद्ध
जीवनधरचम्पू ;कवि हरिचन्दद्ध आदि।

2. किरणानुयोगः-

आत्मा की अंतरंग परिणति पर आधारित जीव की विभिन्न दशाओं जैसे गुणस्थान, मार्गणास्थान तथा कर्मों एवं तीनलोक सम्बन्धी भूगोल का वर्णन है। करणानुयोग में गणित की मुख्यता से कथन किया गया है।

षटखण्डागम, धवलाटीका, जय-धवलाटीका,

महाधवल, कसायपाहुड़सुक्त,
तत्तवार्थसूत्र ;उमास्वामीद्ध
गोम्मटसार-जीवकाण्ड,
कर्मकाण्ड, त्रिलोकसार,
लब्धिसार, क्षपणासार
;नेमिचंद्र सिद्धान्दचक्रवर्तीद्ध,
तिलोयपण्णती ;यतिवृषभाचार्यद्ध
सिद्वान्तरसारसंग्रह ;नरेन्द्रसेनाचार्यद्ध
राजवार्तिक ;भट्टअकलंकद्ध,
सर्वार्थसिद्धि ;पूज्यपादद्ध
अर्थप्रकाशिका ;सदासुखलालद्ध
तŸवार्थसार ;अमृतचन्द्राचार्यद्ध
जम्बूदीवपण्णŸाी ;पद्मनंदिद्ध
गणितसारसंग्रह ;महावीराचार्यद्ध आदि।

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3. वरणानुयोग:-

गृहस्थ श्रावक एवं निर्गंथ मुनियों के आचरण नियमों का वर्णन है। इसका आधार नीतिशास्त्र है।

मूलाचार ;वट्टकेर, कुन्दकुन्दद्ध
मूलाचारप्रदीप ;सकलकीर्तिद्धए
मूलाराधना भगवती आराधना
;आचार्य शिवकोटिद्धए
आचारसार ;वीरनंदिद्धए
रत्नकरण्ड श्रावकाचार ;समंतभद्राचार्यद्धए
पुरूषार्थसिद्धयुपाय ;अमृतचन्द्राचार्यद्धए
चरित्रसार ;चामुण्डरायद्धए
सागारधर्मामृत, अनगारधर्मामृत,
अनगारधर्मामृत ;पं आशाधरद्धए
उपासकाध्ययन ;आ. सोमदेवद्धए
आत्मानुशसन ;गुणभद्राचार्यद्धए
पद्मनंदिपंचविंशतिका
;आ. पद्मनंदिद्धए ज्ञानार्णव ;शुभचन्द्राचार्यद्धए
कार्तिकियानुप्रेक्षा ;स्वामी कार्तिकेयद्धए
स्यणसार, प्रवचनसार ;कुन्दकुन्दद्ध ।

4. द्रव्यानुयोग:-

षट्द्रव्य, सप्त तŸव आदि का तथा स्व-पर भेदविज्ञान द्वारा आत्मबोध कराया गया है। इसका आधार न्यायशास्त्रीय पद्धति है।

द्रव्य संग्रह, वृहद्द्रव्यसंग्रह नेमिचंद ;सि. च.द्धए समयसार, नियमसार, पंचास्तिकाय ;कुन्दकुन्दद्ध।

स्फुट स्तोत्रादि:-

इष्टोपदेश, समाधितंत्र ;पूज्यपादद्धए भक्तामरस्तोत्र ;मानतुंगाचार्यद्धए विषापहार स्तीत्र ;धनंजयद्धए कल्याणमंदिर ;कुमुदचन्द्राचार्यद्धए एकीभाव ;वादिराजद्धए जिनचतुर्विंशŸिाका ;भूपाल कविद्धए मेरी भावना ;जुगलकिशार-मुख्तारद्धए छहढाला ;दौलतरामद्धए प्रभुपतितपावन......;बुधजनद्धए सकल ज्ञेय ज्ञायक स्तुति ;दौलतरामद्धए आलोचनापाठ भाषा ;जौहरी लालद्ध।

न्यायविषयक ग्रंथ:-

तŸवार्थश्लोकवार्तिक ;आ. विद्यानंदिद्ध, परीक्षामुख ;माणिक्यनंदिद्ध, युक्त्यनुशासन आप्तमीमांसा ;समंत भद्राचार्यद्ध, आप्तपरीक्षा ;विद्यानंदिद्ध, प्रमेयरत्नमाला ;अनंतवीर्यद्ध, न्यायविनिश्चय ;अकलंकदेवद्ध, आलापपद्धति ;देवसेनद्ध, स्वाद्धादमज्जरी ;मल्लिषेणद्ध, प्रमेयकमलमार्तण्ड ;प्रभाचंद्रद्ध, अष्टसहस्त्री ;विद्यानंदिद्ध।