जय जिनवर देवा प्रभु जय जिनवर देवा │
शांति विधाता शिवसुख दाता शांतिनाथ देवा ║ टेक ║
ऐरा देवी धन्य जगत में जिस उर आन बसे │
विश्वसेन कुल नभ में मानो पूनम चन्द्र लसे ║ १ ║
║ जय जिनवर देवा ║
कृष्ण चतुर्दशी जेठ मास की आनंद कर तारी │
हथानापुर में जन्म महोत्सव ठाठ रचे भारी ║ २ ║
║ जय जिनवर देवा ║
बाल्यकाल की लीला अदभुत सुरनर मन भाई │
न्याय नीति से राज्य कियो चिर सबको सुखदाई ║ ३ ║
║ जय जिनवर देवा ║
पंचम चक्री काम द्वाद-शम सोल्हम तीर्थंकर │
त्रय पदधारी तुम्ही मुरारी ब्रह्मा शिवशंकर ║ ४ ║
║ जय जिनवर देवा ║
भवतन भोग समझ क्षरभंगुर पुनि व्रत धार लिए │
शत-खंध नव-निधि रतन चतुर्दश छार दिए ║ ५ ║
║ जय जिनवर देवा ║
दुर्दर तप कर कर्म निवारे केवल ज्ञान लहा │
दे उपदेश भविक जन बोधे यह उपकार महा ║ ६ ║
║ जय जिनवर देवा ║
शांतिनाथ हे नाम तिहारा सब जग शांति करो │
अरज करे “शिवराम” चरण में भाप आताप हरो ║ ७ ║
║ जय जिनवर देवा ║
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