।। लक्ष्मी प्राप्ति, यशकरण, रोग-निवारण् मन्त्र ।।

ऊँ णमो अरहंताणं, ऊँ णमो सिद्धाणं, ऊँ णमो आयरियाणं, ऊँ णमो उवज्झायाणं,
ऊँ णमो लोए सव्वसाहूणं। ऊँ ह्मां ह्मीं ह्मूं ह्मौं ह्मः नमः स्वाहा।

विधि - इस मन्त्र का जप करने से लक्ष्मी बधे (वृद्धि को प्राप्त हो) लोक में यश हो, सर्व प्रकार के रोग जाएं।

नोट - सवालक्ष जप विधिपूर्वक जपने से कार्य पूर्ण सिद्ध होता है। फिर जिस मर्यादा से जपेगा उतनी मदद देगा।

पुत्र-सम्पदा प्राप्ति मन्त्र
ऊँ ह्मीं श्रीं ह्मीं (हं) क्लों अ-सि-आ-उ-सा चुलु चुलु हुलु हुलु मुलु मुलु (घुलु घुलु कुलु कुलु सुलु सुलु) इच्छियं (अक्षतं) में कुरू कुरू स्वाहा।
त्रिभुवन स्वामिनी विद्या।

विधि -जब यह मन्त्र जपने बैठै ते आगे धूप जलाकर रख लेवे, और ये मन्त्र 24 हजार फूलों पर एक फूल परएक मन्त्र जपता जावे। इस प्रकार पूरा जपे। घर में पुत्र की प्राप्ति हो और वंश चले।

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नोट - धन, दौलत, स्त्री, पुत्र, मकान, सर्वसम्पदा की प्राप्ति इस मन्त्र के जाप से होवे।

शुभाशुभ कहन मन्त्र, बाग्बल मन्त्र
ऊँ ह्मीं अर्हं ह्मीं क्ष्वीं नमः स्वाहा।

किसी मुकदमे में या फिर किसी फिकर में या अन्देशे में या बीमारी में, रात में सारे मस्तक पर चन्दन लगाकर चन्दन के सूख जाने के बाद 108 बार यह मन्त्र पढ़कर सो जावे। जैसा कुछ होने वाला होगा स्वप्न पूरा मालूम होगा। वृहस्पति से 11000 जाप करे।

सर्व सिद्धि मन्त्र
ऊँ णमो उ-सि-आ-उ-सा नमः।

विधि - इस महामन्त्र का सवालक्ष जप करने से सर्वकार्य-सिद्धि होती है।