भगवान श्री चंद्रप्रभ की आरती

तर्ज—आरति करूँ चौबीस जिनेश्वर.......
आरति करूँ श्री चंद्रप्रभु की, आरति करूँ प्रभु जी ।टेक.।।

पहली आरति गर्भकल्याणक-२ पन्द्रह मास रतनवृष्टी की, आरति करूँ प्रभु जी।।आरति.।।१।।

दूजी आरति जन्मोत्सव की-२ मेरू सुदर्शन पर अभिषव की, आरति करूँ प्रभु जी।।आरति.।।२।।

तीजी है निष्क्रमण दिवस की-२ लौकांतिक सुर अनुमोदन की, आरति करूँ प्रभु जी।।आरति.।।३।।

चौथी आरति केवलि प्रभु की-२ द्वादशगणयुत समवसरण की, आरति करूँ प्रभु जी।।आरति.।।४।।

पंचम आरति पंचम गति की-२ मोक्ष धाम संयुत जिनवर की, आरति करूँ प्रभु जी।।आरति.।।५।।

पंचकल्याणकपति प्रभु तुम हो-२ नाश किया संसार भ्रमण को, आरति करूँ प्रभु जी।।आरति.।।६।।

आरति से भव आरत छुटता-२ करें ‘‘चंदनामति’’ प्रभु वन्दन, आरति करूँ प्रभु जी।।आरति.।।७।।