।। जिनालय ।।

4. परम्पराकोषकाचार्य

5. आचार्यतुल्य कवि लेखक

परम्परापोषकाचार्यों से अभिप्राय उन भट्टारकों से है जिन्होंने दिगम्बर परम्परा की रक्षा के लिए प्राचीन आचार्यों द्वारा निर्मित ग्रंथो के आधार पर अपने नवीन ग्रंथ लिखे। दिगम्बर- परम्परा के श्रुत का संरक्षण और विस्तार आचार्यों के अतिरिक्त गृहस्थ लेखक और कवियों ने भी किया है।

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