।। नवग्रहों के जाप्य मंत्र ।।

jain temple284
नवग्रहों के जाप्य मंत्र

1 - ऊँ ह्मीं क्लीं श्री सूर्य ग्रहारिष्ट निवारकाय श्री पद्मप्रभ जिनेन्द्राय नमः, सूर्य ग्रहारिष्ट शान्तिम् कुरू कुरू स्वाहा।

2 - ऊँ ह्मीं क्लीं श्री चन्द्रग्रहारिष्ट निवारकाय श्री पद्मप्रभ जिनेन्द्राय नमः, चन्द्र ग्रहारिष्ट शान्तिम् कुरू कुरू स्वाहा।

3 - ऊँ आं क्रौं ह्मीं श्री क्लीं भौम ग्रहारिष्ट निवारकाय श्री वासुपूज्य जिनेन्द्राय नमः, मंगल ग्रहारिष्ट शान्तिम् कुरू कुरू स्वाहा।

4 - ऊँ आं क्रौं आं बुध ग्रहारिष्ट निवारकाय श्री विमलानन्त धर्म शान्तिम् कुन्थ्वर नमि वर्धमानाष्ट जिनेन्द्रेभ्यः नमः बुध ग्रहारिष्ट नमः, बुध ग्रहारिष्ट शान्तिम् कुरू कुरू स्वाहा।

5 - ऊँ औं कौं ह्मीं श्रीं क्लीं ऐंग फरू ग्रहारिष्ट निवारकेभ्यः श्री ऋभाजितसम्भवाभिनन्दन सुमति सुपाश्र्व शीतल श्रेयांसाष्ट जिनेन्द्रेभ्यः नमः गुरू ग्रहारिष्ट शान्तिम् कुरू कुरू स्वाहा।

6 - ऊँ ह्मीं श्रीं क्लीं ह्मीं शुक्र ग्रहारिष्ट निवारकाय श्री पुष्पदन्त जिनेन्द्राय नमः, शुक्र ग्रहारिष्ट शान्तिम् कुरू कुरू स्वाहा।

7 - ऊँ ह्मीं श्रीं ह्मूं शनि ग्रहारिष्ट निवारकाय श्री मुनिव्रतनाथ जिनेन्द्राय नमः, शनि ग्रहारिष्ट शान्तिम् कुरू कुरू स्वाहा।

8 - ऊँ ह्मीं श्रीं ह्मूं राहू ग्रहारिष्ट निवारकाय श्री नेमिनाथ जिनेन्द्राय नमः, राहू ग्रहारिष्ट शान्तिम् कुरू कुरू स्वाहा।

9 - ऊँ ह्मीं क्लीं ऐं केतु ग्रहारिष्ट निवारकाय श्री मल्लिनाथ पाश्र्वनाथ जिनेन्द्रायां नमः, केतु ग्रहारिष्ट शान्तिम् कुरू कुरू स्वाहा।

नोट - अभिषेक पूजन विधान के दिनों में इन जाप्यमंत्रों को कम से कम 9 बार या 108 बार जपना चाहिये फिर शांति विसर्जन करना चाहिए।