।। वशीकरण मन्त्र ।।

ऊँ ह्मीं णमो अरहंतारण। अरे (अर)ि अर (अरि) रिणमोहिणि अमुकं मोहय मोहय स्वाहा।

विधि - इस मन्त्र से चावल तथा फूल पर मन्त्र पढ़कर जिसके शिर पर रखे वह वश में हो। 108 बार स्मरण करने से लाभ होता है।

सर्पभय निवारण मन्त्र
ऊँ अर्ह अ-सि-आ-उ-सा अनाहतजयि अर्हं नमः।

विधि - यह मन्त्र नित्य प्रति टंक 3 गुणीजे। बार 108 दिवाली दिन गुणीजे। जीवनपर्यन्त सर्पभय न हो।

दुष्ट निवारण मन्त्र
ऊँ अर्हं अमुकं दुष्टं साधय साधय अ-सि-आ-उ-सा नमः।

विधि - इस मन्त्र को 21 दिन तक जपे 108 बार शत्रु ऊपर पढ़े, क्षय होय।

लक्ष्मी लाभकरावन मन्त्र
ऊँ ह्मीं ह्मूं णमो अरहंताणं ह्मूं नमः।

विधि -108 बार पढ़े लक्ष्मी लाभ हो।

रोगापहार मन्त्र
ऊँ णमो सव्वो सहि पत्ताणं।
ऊँ णमो खेलो सहि पत्ताणं।
ऊँ णमो सल्लो सहि पत्ताणं।
ऊँ णमो सव्वो सहि पत्ताणं स्वाहा।
ऊँ ऐं ह्मीं श्रीं क्लीं क्लौं अर्हं नमः।

विधि -108 बार पढ़े, सर्वरोग जाय।

व्रणादिकनाशन मन्त्र
ऊँ णमो जिणाणां जावियाणं। यूसोणि अं (अ) एक (ऐ) णां (ण) वणां (सक्ववाराणणं) मा पच्वत्तु मां फुट् (यउधउमाफुट्) ऊँ ठः ठः ठः स्वाहा।

विधि -राख पढ़कर व्ररणदिक पर लगावे, समाप्ति हो।

आकाशगमन मन्त्र
ऊँ णमो आसगमणिज्जो स्वाहा।

विधि -250 दिन अलूणा भोजन कांजी सेती करीजे। 249 बार मन्त्र पढ़ वक्त के ऊपर याद करे। आकाश्ज्ञगमन होय।

आकाशगमन द्वितीय मन्त्र
ऊँ णमो अरहंताणं ऊँ णमो सिद्धाणं ऊँ णमो आयरियाणां ऊँ णमो उवज्झायाणं ऊँ णमो लोए सव्वसाहूणं।
ऊँ णमो भगवीय सुं प्रदेवयानवरसंगसवयन जननीयन जननी यस्य सइ ये सर्व वाईनेसवनेप्रवत्तर प्रवत्तर देखि म सरीरं पवित्तरतं जनम पहरये अर्हन्तशरीर स्वाहा।

विधि -ये मान्त्र बार 108 खड़ी मन्त्री हाथ में राखिजे। ये को देखिजे।

व्यापारे लाभ व जयदायक मन्त्र
ऊँ ह्मीं श्रीं अर्हं अ-सि-आ-उ-सा अनाहतविद्येयं अर्हं नमः।

विधि -यह मन्त्र दिन में 3 बार जपिये। 108 बार जपे तो व्यापार में लाभ हो, सर्वत्र जय पावे।

भय-नाशक मन्त्र
ऊँ णमो सिद्धाना पंचन।

विधि - यह मन्त्र बार 108 दिवाली के दिन जपीजे। जीवे जगतां इस थकीं भय टले।

सर्वरोग-नाशक मन्त्र
ऊँ ऐं ह्मीं क्लीं क्लौं क्लौं अर्हं नमः।

विधि - यह मन्त्र त्रिकाल बार 108 जपे सर्व रोग जाय।

विरोधकारक मन्त्र
ऊँ ह्मीं श्रीं अ-सि-आ-उ-सा अनाहतविजे ह्मीं ह्मूं असं कविश्रे खं कुरू कुरू स्वाहा।

विधि - यह मन्त्र सात दिन 108 बार जपे मसान के अंगारे की राख घोलकर कौवे के पर से भोजपत्र पर लिखे। जिसका नाम लिखे वह मरे विरोध उपजे।

सर्वसिद्धि व जयदायक मन्त्र
ऊँ अरहंत सिद्ध आयरिय उवज्झाया सव्वसाहू सव्वधम्मतित्थयराणां
ऊँ णमो भगवईए सुयदेवयाये सांतिदेवयाणां सर्व पवयणं देवयाणं
दसराहं दिसापालणं पंचलोगपालाणं ऊँ ह्मीं अरहंतदेव नमः।
(श्रींसर्व जु मोहं कुरू कुरू स्वाहा) पाठान्तरे।

विधि - यह मन्त्र 108 बार जपे उत्तम स्थान में। सर्वसिद्धि और जयदायक है। सात बार मन्त्र पढ़कर कपड़े में गांठ देने से चोर-भय नहीं होता, सर्पभय भी नहीं होता।

आत्म रक्षा महा सकली करण मन्त्र
पढ़मं हवइ मंगलं वज्रमइ शिलामस्तकोपरि णमो अरहंताण अंगुष्ठ्योः णमो सिद्धाणां तर्जन्योः गणे आयरियाणां मध्यमयोः णमो उवज्झायाणं अनामिकयोः णमो लोए सव्वसाहूणं कनिष्ठकयोः एसो पंच णभोयारो बज्रमइ प्राकरां सव्वपावप्पणसणो जलभृत् खातिका मंगलाण च सव्वेसि खादिरांगारपूर्णं खातिका।
इति आत्मनिश्चितन्तयेन्महासकलीकरणम्।
आकाश गमन कारक मन्त्र
ऊँ आदि ह्मीं हीनपंचवीजजपदैर्युतें सर्वसिद्धये नमः।

विधि -पुष्प या फल से एक लाख जाप वृक्षे छीकं कृतवा तरणी-बद्धंतं आरूढोऽग्नि कुण्डो होमयेत्। येका घातेन पादास्त्रोट्यते खे गमनम्।

सर्वकार्य साधक मन्त्र
ऊँ ह्मीं श्रीं अर्हं अ-सि-आ-उ-सा स्वाहा।

विधि - यह सर्वकार्य सिद्ध करने वाला मन्त्र है।

अरहंत सिद्ध आयरिय उवज्झाय साहू।

विधि -षोडशाक्षरविद्यायाः जाप्य 200 चतुर्थफलम्।

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