पंचकल्याणक अर्घ्य
।। भगवान श्री अभिनंदननाथ जी ।।

पंचकल्याणक अर्घ्य

गर्भकल्याणकअर्घ्य

ॐ ह्रीं वैशाखशुक्लाषष्ठ्यां श्रीअभिनंदननाथजिन गर्भकल्याणकाय अर्घ्यंनिर्वपामीतिस्वाहा।

जन्मकल्याणकअर्घ्य

ॐ ह्रीं माघशुक्लाद्वादश्यां श्रीअभिनंदननाथजिन जन्मकल्याणकाय अर्घ्यंनिर्वपमामीतिस्वाहा।

दीक्षाकल्याणकअर्घ्य

ॐ ह्रीं माघशुक्लाद्वादश्यां श्रीअभिनंदननाथजिन दीक्षाकल्याणकाय अर्घ्यंनिर्वपमामीतिस्वाहा।

केवलज्ञानकल्याणकअर्घ्य

ॐ ह्रीं पौषशुक्लाचतुर्दश्यां श्रीअभिनंदननाथजिन केवलज्ञानकल्याणकाय अर्घ्यंनिर्वपमामीतिस्वाहा।

मोक्षकल्याणकअर्घ्य

ॐ ह्रीं वैशाखशुक्लाषष्ठ्यां श्रीअभिनंदननाथजिन मोक्षकल्याणकाय अर्घ्यंनिर्वपमामीतिस्वाहा।

ॐ ह्रीं श्री अभिनंदननाथ पंचकल्याणकाय पूर्णायँ निर्वपामीतिस्वाहा।

शांतयेशांतिधारा, दिव्यपुष्पांजलिः।

जाप्य - ॐ ह्रीं श्री अभिनंदनजिनेन्द्राय नमः।

Bhagwan Shri Abhinandan Ji