।। आचार्य परमेष्ठी ।।

प्रश्न 68 - तप प्रायश्चित किसे कहते हैं?

उत्तर - अनशन आदि तपों को करना तप प्रायश्चित है।

प्रश्न 69 - छेद प्रायश्चित किसे कहते हैं?

उत्तर - दिवस, पक्ष महिना आदि की दीक्षा छेद कर देना छेद नाम का प्रायश्चित है।

प्रश्न 70 - परिहार प्रायश्ति किसे कहते हैं?

उत्तर - पक्ष महिना आदि के विभाग से दूर रख कर त्याग करना परिहार नाम का प्रायश्चित तपह ै।

प्रश्न 71 - उपस्थापना नाम का प्रायश्चित क्या है?

उत्तर - पुनः दीक्षा देना उपस्थापना नाम का प्रायश्चित है।

प्रश्न 72 - उपस्थापना नाम का प्रायश्चित कब दिया जाता है?

उत्तर - गम्भीर अपराध होने पर अन्य मार्ग नहीं रहने पर अपस्थापना नाम का प्रायश्चित दिया जाता है।

प्रश्न 73 - विनय तप कितने प्रकार का है?

उत्तर - विनय तप चार प्रकार का है।

प्रश्न 74 - विनय तप के चार भेदों के नाम बताइये?

उत्तर - 1 ज्ञान विनय 2 दर्शन विनय 3 चारित्र विनय तथा 4 उपचार विनय।

प्रश्न 75 - ज्ञान विनय किसे कहते हैं?

उत्तर - बहुमान सहित, आलस्य रहित होकर देशकालादि की विशुद्धिपूर्वक ज्ञान अभ्यास, मोक्ष प्राप्ति के लिए करना, ज्ञान, विनय नाम का तप है।

प्रश्न 76 - दर्शन विनय किसे कहते हैं?

उत्तर - साम्यग्दर्शन का आठ अंगों सहित पालन करना दर्शन विनय है। जिनेन्द्र भगवान ने सामायिक आदि से लेकर लोक बिन्दूसार पर्यंत श्रुत रूपी महा समुद्र में पदार्थों का जैसे उपदेश दिया है। उसका वैसा ही श्रद्धान करना दर्शन विनय है।

प्रश्न 77 - चारित्र विनय किसे कहते हैं?

उत्तर - सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान से युक्त पुरूषों का सम्यग्चारित्र में प्रवृत्ति होना, चारित्र विनय है। चारिवान पुरूषों की प्रणाम पूर्वक भक्ति चरित्र विनय है।

प्रश्न 78 - उपचार विनय किसे कहते हैं

उत्तर - पूज्यनीय आचार्य आदि को सामने देखकर, खड़े होना उनके पीछे-पीछे चलना, अंजलि जोड़ना, वंदना करना उनकी आज्ञादि में चलना उपचार विनय है।

प्रश्न 79 - कुल किसे कहते हैं?

उत्तर - दीक्षा देने वाले आचार्य की शिष्य परम्परा कुल कहलाती है।

प्रश्न 80 - संघ किसे कहते हैं?

उत्तर - यति, ऋषि, मुनि और अनगार इन चार प्रकार के मुनियों को संघ कहते हैं। या मुनि, आर्यिका, श्रावक-श्राविका के समूह को संघ कहते हैे।

प्रश्न 81 - साधु किसे कहते हैं?

उत्तर - चिरकाल से भावित दीक्षा गुण वाले पुराने साधक साधु कहलाते हैं।

प्रश्न 82 - मनोज्ञ किसे कहते हैं?

उत्तर - जो विद्वान मुनि वाक् पटुता महाकुलीनता आदि गुणों द्वारा लोक में प्रसिद्ध हैं वे मनोज्ञ हैं अथवा संस्कारों से सुसंस्कृत असंयत सम्यग्दृष्टि को भी मनोज्ञ कहते हैं।

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प्रश्न 83 - स्वाध्याय कितने प्रकार का होत है?

उत्तर - स्वाध्याय पांच प्रकार का होता है।

प्रश्न 84 - स्वाध्याय को किस प्रकार का तप कहा गया है?

उत्तर - स्वाध्याय परमं तप। स्वाध्याय को परम तप कहा गया है।

प्रश्न 85 - स्वाध्याय केपांच प्रकारों के नाम बताइये।

उत्तर - 1 वाचना, 2 पृच्छना, 3 अनुप्रेक्षा, आम्नाय और 5 धर्मोपदेश।

प्रश्न 86 - वाचना किसे कहते हैं?

उत्तर - निरपेक्ष भाव से निर्दोष ग्रन्थ तथा उसके अर्थ का प्रतिवादन या वाचन करना वाचना है।

प्रश्न 87 - पृच्छना किसे कहते हैं?

उत्तर - संशय निवारण के लिए तथा निर्णय की पुष्टि के लिए ग्रन्थ तथा अर्थ्र दोनों को एक दूसरे से पूछना पृच्छना है।

प्रश्न 88 - अनुप्रेक्षा किसे कहते हैं?

उत्तर - जाने हुए तत्व के अर्थ का मन के द्वारा अभ्यास करना वस्तु के स्वरूप को जानकर तप्त लोह के पिंड के समान अपने चित्त को बना लेना और बार-बार मन से उसका अभ्यास करना अनुप्रेक्षा है।

प्रश्न 89 - आम्नाय किसे कहते हैं?

उत्तर - आचार पारगामी व्रती का लौकिक फल की अपेक्षा किये बिना, उच्चारण दोषों से रहित होकर विशुद्ध पाठ का घोष करना आम्नाय कहलाता है।

प्रश्न 90 - धर्मोंपदेश क्या है?

उत्तर - धर्म कथा आदि का अनुष्ठान करना, कथन करना। लौकिक ख्याति लाभ के बिना उन्मार्ग की निवृत्ति के लिए संशय आदि का निवारण करने के लिए धर्म कथा आदि का कथन करना धर्मोपदेश है।

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