।। आचार्य परमेष्ठी ।।
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प्रश्न 176 - प्रत्याख्यान आवश्यक क्रिया के बारे में बताइये।

उत्तर - मूलाचार आदि कतिपय ग्रन्थों में स्वाध्याय के स्थान पर प्रत्याख्यान को लिया गया है जिसका भाव यह है कि आगे होने वाले दोषों का और आहर पानी आदि का त्याग करना प्रत्याख्यान हैं।

प्रश्न 177 - आचार्य परमेष्ठी के मूल गुणों को पद्य में बताइये।

उत्तर - दोहा- द्वादश तप, दश धर्म जुत, पालें पंचाचार।

षट् आवश्यक, गुप्ति त्रय, आचारज गुण साथ।।

प्रश्न 178 - बारह तपों के नाम पद्य में बताइये।

उत्तर - -दोहा अनशन ऊनोदर करें, व्रत संख्या रस छोर।

विविक्त शयन आसन धरें काय क्लेश सठौर।।
प्रयश्चित धर विनयजुत, वैय्यावृत स्वाध्याय।
पुनि उतसर्ग विचारि के, धरें ध्यान मन लाय।।

प्रश्न 179 - दश ध्र्मों को पद्य में बताइये।

उत्तर - दोहा छिमा मार्दव आरजव, सत्य वचन चित पाग।

संयम तप त्यागी सरब, आकिंचन तिय त्याग।।

प्रश्न 180 - आचार तथा गुप्तियों को पद्य में बताइये।

उत्तर - दोहा- दर्शन ज्ञान चरित्र तप, वीरज पंचाचार।

गोपों मन वच काय को, गिन छत्तिस गुणसार।।

प्रश्न 181 - छः आवश्यक क्रियाओं को पद्य में बताइये।

उत्तर - -दोहा- समता धर वंदन करें, नाना थुति बनाय।

प्रतिक्रमण स्वाध्याय जुत, कायोत्सर्ग लगाय।।
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