।। चैबीस तीर्थंकर एवं विद्यमान बीस तीर्थंकर ।।

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प्रश्न 1 - तीर्थंकर किसे कहते हैं?

उत्तर - जो धर्म रूपी तीर्थं के कर्ता हैं धर्म रूपी तीर्थ का प्रर्वतन करते हैं वे तीर्थंकर कहलाते हैं।

प्रश्न 2 - क्या तीर्थंकर धर्म के संस्थापक होते हैं?

उत्तर - कोई भी तीर्थंकर धर्म के संस्थापक नहीं होते हैं अपितु उपदेशक होते हैं।

प्रश्न 3 - तीर्थंकर कैसे बनते हैं?

उत्तर - केवली एवं श्रुत केवली के पादमूल में मनुष्य सोलह कारण भावनाओं का चिंतवन करके तीर्थंकर प्रकृति का बंध कर लेते हैं वह कर्म उदय में आ जाने से तीर्थंकर बन जाते हैं।

प्रश्न 4 - भावना किसे कहते हैं?

उत्तर - बार-बार एक प्रकार का चिंतन करने को भावना कहते हैं।

प्रश्न 5 - दर्शन विश्ुाद्धि भावना की क्या विशेषता है?

उत्तर - उपरोक्त सोलह भावनाओं में दर्शन विशुद्धि भावना का होना अत्यंत आवश्यक है उसके साथ एक, दो या कितनी ही भावना हों या सभी हों तो तीर्थंकर प्रकृति का बंध हो सकता है। यदि दर्शन विशुद्धि भावना नहीं है तो तीर्थंकर प्रकृति का बंध नहीं होगा।

प्रश्न 6 - दर्शन विशुद्धि भावना किसे कहते हैं?

उत्तर - पच्चीस मल दोषों से रहित विशुद्ध सम्यग्दर्शन का पालन करना दर्शन विशुद्धि भावना है।

प्रश्न 7 - विनयसम्पन्नता किसे कहते हैं?

उत्तर - देवशास्त्र गुरू रत्नत्रय तथा इनके धारण करने वालों का आगम के अनुसार विनय करना।

प्रश्न 8 - शीलव्रतों में अनतिचार भावना क्या है?

उत्तर - व्रतों एवं शीलों में अतिचार नहीं लगाना।

प्रश्न 9 - अभीक्षण ज्ञानोपयोग भावना क्या है?

उत्तर - सदा ज्ञान के अभ्यास में लगे रहना अभीक्षण ज्ञानोपयोग भावना है।

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प्रश्न 10 - संवेगभावना क्या है?

उत्तर - पापों तथा पाप के फल से डरना तथा धर्म एवं धर्म के फल में अनुराग होना संवेग है।

प्रश्न 11 - शक्ति, तप भावना को बताइये।

उत्तर - अपनी शक्ति के अनुसार शक्ति को न छिपा कर तप करना।

प्रश्न 12 - शक्ति त्याग भावना को बताइये।

उत्तर - अपनी शक्ति के अनुसार त्याग करना आहार दान आदि देना।

प्रश्न 13 - साधु समाधि भावना क्या होती है?

उत्तर - साधुओं का उपसर्ग आदि दूर करना या समाधि सहित मरण करना साधु समाधि भावना है।

प्रश्न 14 - वैयावृत्यकरण भावना क्या है?

उत्तर - वृती त्यागी आदि की सेवा वैयावृत्ति करना।

प्रश्न 15 - अर्हंत भक्ति भावना क्या है?

उत्तर - अर्हंत भगवान की भक्ति करना अर्हंत भक्ति है।

प्रश्न 16 - आचार्य भक्ति किसे कहते हैं?

उत्तर - आचार्य की भक्ति करना आचार्य भक्ति है।

प्रश्न 17 - बहुश्रुत भक्ति किसे कहते हैं?

उत्तर - उपाध्याय परमेष्ठी की भक्ति करने को बहुश्रुत भक्ति कहते हैं।

प्रश्न 18 - प्रवचन भक्ति किसे कहते हैं?

उत्तर - जिनवाणी की भक्ति करना प्रवचन भक्ति है।

प्रश्न 19 - आवश्यकापरिहाणि भावना क्या है?

उत्तर - छः आवश्यक क्रियाओं को सावधानी से पालना आवश्यकापरिहाणि है।

प्रश्न 20 - मार्ग प्रभावना किसे कहते हैं?

उत्तर - जैन धर्म के प्रभाव को लोक में प्रसारित करना।

प्रश्न 21 - प्रवचन वत्सलत्व भावना क्या है?

उत्तर - साधर्मीजनों में आगाध प्रेम करना।

प्रश्न 22 - तीर्थंकर कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर - तीर्थंकरों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है- 1 भरत ऐरावत क्षेत्र में होने वाले तीर्थंकर, 2 विदेह क्षेत्र में होने वाले तीर्थंकर।

प्रश्न 23 - भरत ऐरावत में होने वाले तथा विदेह क्षेत्रों में होने वाले तीर्थंकरों में क्या अंतर है?

उत्तर - निम्न अंतर है-

अ भरत ऐरावत क्षेत्र में होने वाले तीर्थंकरों के पूरे पांच कल्याणक होते हैं। विदेह क्षेत्र में होने वाले तीर्थंकरों के पांच, तीन और दो कल्याणक होते हैं।

ब विदेह क्षेत्र में चतुर्थकाल विद्यमान रहने से यहां तीर्थंकरों का अभाव नहीं होता है। भरत, ऐरावत क्षेत्र में कर्मकाल में ही तीर्थंकर होते हैं।

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