।। चैबीस तीर्थंकर एवं विद्यमान बीस तीर्थंकर ।।

प्रश्न 48 - ये दिक्कन्यायें कहां रहती है?

उत्तर - ये दिक्कन्यायें तेरहवें रूचकवर द्वीप में एवं दक्षिण पश्चिम एवं उत्तर दिशाओं में बने हुए चवालिस कूटों पर रहती हैं।

प्रश्न 49 - रूचक गिरि पर्वत पर बने हुए पूर्व दिशा के आठ कुटों पर कौन-कौन सी दिक्कन्यायें रहती हैं।

उत्तर - इन कूटों पर रहने वाली दिक्कन्याओं के नाम हैं- 1 विजया, 2 विजयंता , 3 जयंता , 4 अपराजिता , 5 नंदा , 6 नंदवती, 7 नंदोत्तरा एवं 8 नंदीषेणा।

प्रश्न 50 - ये दिक् कन्यायें जन्म कल्याण में क्या कार्य करती हैं?

उत्तर - ये दिक् कन्यायें जिन जन्म कल्याणक में झारी को धारण करती हैं।

प्रश्न 51 - रूचकवर पर्वत पर दक्षिण के आठ कूटों पर रहने वाली दिक् कनयाओं के नाम बताइये।

उत्तर - इन कूटों पर रहने वाली दिक् कन्याओं के नाम इस प्रकार हैं- 1 इच्छा देवी , 2 समाहारादेवी , 3 सुप्रकीर्णादेवी , 4 यशोधरा देवी , 5 लक्ष्मी देवी , 6 शेषवती देवी, चित्रगुप्ता देवी एवं 8 वसुंधरा देवी।

प्रश्न 52 - जिन जन्म कल्याणक में ये देवियां क्या करती हैं?

उत्तर - ये अष्ट दिक् कन्यायें जिन जन्म कल्याण्क में दर्पण को धारण करती हैं।

प्रश्न 53 - रूचकवर पर्वत के पश्चिम आठों कूटों की दिक्कन्याओं के नाम बताइये।

उत्तर - 1- इलादेवी , 2- सुरादेवी , 3- पृथ्वीदेवी , 4- पद्मादेवी , 5- इकनावासादेवी , 6- नवमीदेवी , 7- सीतादेवी एवं 8- भद्रादेवी।

प्रश्न 54 - उपरोक्त देवियां जिन जन्म कल्याणक में क्या कार्य करती हैं?

उत्तर - ये उपरोक्त देवियां जिन माता के ऊपर छत्र लगाती हैं।

प्रश्न 55 - रूचकवर पर्वत के ऊपर उत्तर के आठों कूटों पर रहने वाली दिक्कन्याओं के नाम बताइये।

उत्तर - 1 अलंभूषा देवी , 2 मिश्रिकेशि , 3 पुंडरीकणी देवी , 4 वारूणी देवी , 5 आशा देवी , 6 सत्या देवी , 7 श्री देवी , 8 अतिरूपणि देवी।

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प्रश्न 56 - ये देवियां जिन जन्म कल्याणक में क्या कार्य करती हैं?

उत्तर - ये दिक् कन्यायें जिन माता के ऊपर चंवर ढुराने का कार्य करती हैं?

प्रश्न 57 - रूचकवर पर्वत के चार महाकूटों की दिक्कन्याओं के नाम बताइये।

उत्तर - 1 सौदामिनी देवी , 2 कनका देवी , 3 शतपदा देवी , 4 कनक सुचित्रा।

प्रश्न 58 - ये चारों दिक्देवियां जिन जन्म कल्याणक में क्या काम करती हैं?

उत्तर - ये देवियां जिन जन्म कल्याणक में दश दिशाओं को निर्मल करती हैं।

प्रश्न 59 - रूचकगिरि के चार अभ्यंतर कूटों पर कौन-सी देवियां रहती हैं?

उत्तर - रूचकगिरि के चारों कूटों पर 1 रूचिका , 2 रूचक कीति , 3 रूचककांता , 4 रूचकप्रभा नाम की देवियां रहती हैं।

प्रश्न 60 - ये देवियां जिन कल्याण में कौन-सा कार्य करती हैं?

उत्तर - ये देवियां भगवान के जन्म कल्याणक में भक्तिपूर्वक जात कर्म करती हैं।

प्रश्न 61 - कल्याणक किसे कहते हैं?

उत्तर - भगवान के जिन उत्सवों को देवगण मनाते हैं उन्हें कल्याणक कहते हैं।

प्रश्न 62 - कल्याणक कितने होते हैं?

उत्तर - कल्याणक पांच होते हैं

प्रश्न 63 - पांच कल्याणकों के नाम बताइये।

उत्तर - 1 गर्भ कल्याणक , 2 जन्म कल्याणक , 3 तप कल्याणक , 4 केवलज्ञान कल्याणक एवं , 5 मोक्ष कल्याणक।

प्रश्न 64 - दीक्षा कल्याणक का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर - दीक्षा कल्याणक को तप कल्याणक तथा निःक्रमण कल्याणक भी कहते हैं।

प्रश्न 65 - मोक्ष कल्याणक का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर - मोक्ष कल्याणक का दूसरा नमा निर्वाण कल्याणक है।

प्रश्न 66 - जन्म से ही भगवान कितने ज्ञान के धारक होते हैं?

उत्तर - जन्म से ही भगवान मति, श्रुत, अवधि तीन ज्ञान के धारक होते हैं।

प्रश्न 67 - भगवान का गर्भ कल्याणक कैसे मनाया जाता है?

उत्तर - तीर्थंकर प्रकृति का बंध करने वाला जीव जब माता के गर्भ में आता है तब छः महीने पहले से इन्द्र की आज्ञा से कुबरे नगरी को सजाते हैं तथा प्रतिदिन माता के आंगन में रत्नों की वर्षा करते हैं। भगवान की माता पिछली रात्रि में 16 स्वप्न देखती हैं अपने पति से स्वप्नों के फल का उत्तर सुनकर रोमांचित हो जाती हैं। भगवान को गर्भ में आया जानकर, श्री आदि देवियां तथा चवालिस दिक्कन्यायें भगवान की माता की सेवा करती हैं मनोरंजन करती है माता से गूढ़ प्रश्न पूछती हैं तथा गर्भ में भगवान के प्रभाव से उन प्रश्नों का उत्तर माता देती हैं।

प्रश्न 68 - जन्म कल्याणक कैसे मनाया जाता है?

उत्तर - भगवान के जन्म के समय चतुर्निकय के देवों के यहां बिना बजाये घंटे, घडि़याल, शंख आदि बजने लगते हैं, उनके मुकुट अपने आप झुक जाते हैं। इन्द्रासन कम्पायमान होता है, कल्पवृक्षों से पुष्पों की वर्षा होने लगती हैं। अवधि ज्ञान से जन्म को जानकर, सौधर्म इन्द्र सपरिवार असंख्यातों देव-देवियों सहित ऐरावत हाथी पर चढ़कर नगर की तीन प्रदक्षिणा देते हैं। शची प्रसूति ग्रह से भगवान को लाकर इन्द्र को देती है। माता के पास मायामयी बालक को छोड़ देती है। इन्द्र भगवान को लेकर मेरू पर्वत की पांडुक शिला पर विराजमान करते हैं। वहां पर इन्द्र सभी परिवार सहित 1008 कलशों से भगवान का क्षीर समुद्र के जल से अभिषेक करते हैं।

प्रश्न 69 - क्षीर समुद्र कौन-सा समुद्र हैं?

उत्तर - क्षीर समुद्र लवण समुद्र से पांचवां समुद्र हैं।

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