।। श्री अरिहंत परमेष्ठी ।।

प्रश्न 64 - भगवान के शरीर में कितने लक्षण होते हैं?

उत्तर - भगवान के शरीर में 1008 लक्षण चिन्ह होते हैं।

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प्रश्न 65 - सच चतुस्त्र संस्थान किसे कहते हैं?

उत्तर - शरीर के सुन्दर सुड़ोल बनावट ही सम चतुस्त्र संस्थान है शरीर के जिस अंग का जैसा आकार होना चाहिए, उतना ही हो तो समचतुस्त्र संस्थान होता है।

प्रश्न 66 - वज्र वृषभ नाराच संहनन क्या है?

उत्तर - जब शरीर की हडि़्यां इतनी मजबूत हों तो उन पर व्रज भी गिर जाए तो उनमें कुछ बिगाड़ ना हो ये वज्र वृषभ नाराच सहनन कहलाता है।

प्रश्न 67 - इस सहनन की क्या विशेषता है?

उत्तर - ये प्रत्येक मोक्ष जाने वाले जीव में अवश्य ही पाया जाता है।

प्रश्न 68 - जन्म के दस अतिश्यों को पद्य में बतलाइये।

उत्तर - जन्म के दस अतिश्यां को बतलाने वाली पद्य इस प्रकर है-

अतिश्य रूप सुगन्धित तन, नाहि पसेव निहार,
प्रियहित वचन अतुल्य बल रूधिर श्वेत आकार,
लक्षण सहस अरू आठ तन सम चतुष्क संठान,
वज्र वुषभ नाराच जुत य जनमत, दस ज्ञान।।

प्रश्न 69 - अरिहंत भगवान के शरीर के आश्रय से कितने अतिश्य होते हैं?

उत्तर - जन्म के दश अतिश्यों से अतिरिक्त, नख केश नहीं बढ़ना नेत्रों की पलकें नही झपकना, शरीर की परछाई नहीं पड़ना, चारों दिशाओं में मुख दिखाना, आकाश गमन तथा कवलाहारनहीं होना। कुल 15 अतिश्य।

प्रश्न 70 - अरिहंत भगवान के शरीर को क्या कहते हैं?

उत्तर - अरिहंत भगवान के शरीर को परमौदारिक शरीर कहते हैं।

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प्रश्न 71 - केवलज्ञान के समय होने वाले अतिश्यों के नाम बताइये।

उत्तर - ये दस अतिश्य होते हैं- 1 - सौ-सौ योजन तक सुभिक्षता
2 - आकाश में गमन
3 - चार मुख दिखना,
4 - हिंसा न होना
5 - उपसर्ग नहीं होना
6 - कवलाहार नहीं होना
7 - समस्त विद्याओं का स्वामीपना
8 - नख केश नहीं बढ़ना,
9 - नेत्रों की पलकें नही झपकला,
10 - परछाई नहीं पड़ना।

प्रश्न 72 - सौ योजन तक सुभिक्षता का क्या आशय है?

उत्तर - सौ योजन तक सुभिक्षता का क्या आशय है? जहां भगवान का समवसरण रहता है उससे समस्त दिशाओ, सौ-सौ योजन 800 मील तक अकाल नहीं पड़ता है। पृथ्वी धन धान्य से भरी रहती है।

प्रश्न 73 - एक योजन का क्या माप है?

उत्तर - एक योजन चार कोश का होता है।

प्रश्न 74 - हिंसा न होने से क्या आशय है?

उत्तर - जहां भगवान का समवसरण रहता है वहां किसी भी प्रकार का प्राणबध नहीं होता है।

प्रश्न 75 - समस्त विद्याओं के स्वामीपना से क्या आशय है?

उत्तर - केवलज्ञानी भगवान संसार की समस्त विद्याओं के स्वामी-ईश्वर होते हैं।

प्रश्न 76 - भगवान का वास्तविक मुख किस दिशा में रहता है?

उत्तर - भगवान का वास्तविक मुख पूरब या उत्तर में रहता है।

प्रश्न 77 - कवलाहार किसे कहते हैं?

जो आहर मुख द्वारा लिया जाता है उसे कवलाहार कहते हैं जैसे अन्नादि।

प्रश्न 78 - केवलज्ञान के दस अतिश्य को बतलाने वाली पद्य बताइये।

उत्तर -

योजन शत इक में सुभिख, गगन गमन मुख चार,
नहि अदया, उपसर्ग नहीं, नाहिं कवलाहार।
सब विद्या ईश्वरपनों, नाहिं बढ़ें नख केश,
अनिमिष दृग छाया रहित, दश केवल के वेश।।

प्रश्न 79 - उपसर्ग किसे कहते हैं?

उत्तर - तप और ध्यान में जो विघ्न किया जाता है, उपद्रव किया जाता है उसे उपसर्ग कहते हैं।

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