।। श्री अरिहंत परमेष्ठी ।।

प्रश्न 99 - देवकृत 14 अतिश्यों को पद् में बताइये।

उत्तर -

देव रचित हैं चार दश, अर्धमागधी भाष,
आपस माहीं मित्रता, निर्मल दिश आकाश।
होत फूल फल ऋतु सवै, पृथ्वी कांच समान,
चरण कमल तक कमल हैं, नभी ते जय-जय बान।।

प्रश्न 100 - आठ प्रतिहार्यों के नाम बताइये?

उत्तर - 1 - अशोक वृक्ष
2 - रत्नमयी सिंहासन
3 - तीन छत्र
4 - भामण्डल
5 - दिव्य ध्वनि
6 - देवों द्वारा पुष्पवृष्टि
7 - चैसठ चंवर
8 - दुंदुभि बाजे बजना।

प्रश्न 101 - अशोक वृक्ष किसे कहते हैं?

उत्तर - भगवान को जिस वृक्ष के नीचे केवलज्ञान होता है उसे अशोकवृक्ष कहते हैं। यह वृक्ष प्राणियों के शोक हरने के कारण अपने नाम की सार्थकता को धारण करता है।

प्रश्न 102 - भामण्डल किसे कहते हैं?

उत्तर - भगवान के शरीर की प्रभा को भामण्डल कहते हैं।

प्रश्न 103 - भामण्डल की क्या विशेषता है?

उत्तर - इस भामण्डल में भव्य जीवों केा अपने सात भव दिखायी पड़ते हैं। तीन पहले के एक वर्तमान का तथा तीन आगे के।

प्रश्न 104 - अष्ट प्रतिहार्य को बताने वाला पद्य बताइये।

उत्तर - पद्य इस प्रकार है-

तरू अशोक के निकट में सिंहासर छवि दार।
तीन छत्र सिर पर फिरे, भामण्डल पिछवार।।
दिव्य ध्वनी मुख ते खिरे, पुष्प वृष्टि सुर होय।
ढोरे चैसढ चमर जखु, बाजें दुंदुभि जाये।।

प्रश्न 105 - प्रातिहार्य किसे कहते हैं?

उत्तर - विशेष शोभा की वस्तुओं को प्रातिहार्य कहते हैं।

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प्रश्न 106 - अनंत चतुष्टय के नाम बताइये।

उत्तर - 1 अनंतदर्शन 2 अनंतज्ञान 3 अनंतसुख एव 4 अनंतवीर्य।

प्रश्न 107 - उपरोक्त को अनंत चतुष्टय क्यों कहते हैं?

उत्तर - अंत रहित होने से इन्हें अनंत कहते हैं तथा ये चार होने से चतुष्ट कहलाते हैं।

प्रश्न 108 - अनंत दर्शन का क्या महत्व है?

उत्तर - अनंत दर्शन से केवली अरिहंत भगवान को तीनों लोकों की समस्तवस्तुओं का उनकी तीनों कालों की पर्यायों सहित एक समय में एक साथ दर्शन होता है।

प्रश्न 109 - अनंत ज्ञान का क्या कार्य है?

उत्तर - अनंत ज्ञान तीनों लोकों की समस्त वस्तुओं को एक साथ समय में उनकी अनंत पर्यायों युक्त जानता है।

प्रश्न 110 - अनंत सुख क्या है?

उत्तर - अरिहंत भगवान का सुख अंत रहित, उपमा रहित, अलौकिक अतीन्द्रय है। तीनों लोकों के जीवों को जितना सुख होता है उनसे अनंत गुना सुख अरिहंत भगवान को होता है।

प्रश्न 111 - अनंत-वीर्य क्या है?

उत्तर - वीर्य शक्ति को कहते हैं। अरिहंत भगवान शक्ति तीनों लोकों में सर्वोत्तम अंत रहित होती है।

प्रश्न 112 - अनंत चतुष्ट को पद्य में बताइये।

उत्तर -

ज्ञान अनंत, अनंत सुख, दरश अनंत प्रमाण।
बल अनंत अरिहंत सो इष्ट देव पहिचान।।

प्रश्न 113 - क्या प्रत्येक अरिहंत भगवान के 46 मूल गुण होते हैं?

उत्तर - जिन तीर्थंकरों के पंचकल्याणक होते हैं उन्हीं के 46 मूल गुण होते हैं। शेष के जन्म समय होने वाले 10 अतिश्य नहीं होते हैं।

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