।। उपाध्याय परमेष्ठी ।।

प्रश्न 18 - उपासकाध्ययनांग में किस विषय का वर्णन किया गया है?

उत्तर - उपासकाध्ययनांग में विशेष रूप से श्रावक धर्म का विवेचन किया गया है।

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प्रश्न 19 - उपासकाध्ययन में पदों की संख्या का प्रमाण बताइये।

उत्तर - उपासकाध्ययन में एक लाख सत्रह हजार पद हैं।

प्रश्न 20 - अंतकृत दशांग में किस प्रकार का वर्णन है?

उत्तर - अंतकृत अर्थात अंतकर दिया है संसार का जिन्होंने, ऐसे प्रत्येक तीर्थंकर के समय दश मुनि घोर उपसर्ग सहन करके मोक्ष जाते हैं उनका इस अंग में वर्णन है।

प्रश्न 21 - अन्तकृतदशांग में पदों की संख्या कितनी है?

उत्तर - इसमें तेइस लाख चैबीस हजार पद हैं।

प्रश्न 22 - भगवान महावीर के समय में होने वाले दश अंतकृत केवली भगवंतों के नाम बताइये।

उत्तर - 1 - नमि , 2 - मतंग , 3 - सौमिल , 4 - रामपुत्र , 5 - सुदर्शन , 6 - यमलोक - 7 - वलीक , 8 - निष्कम्बल , 9 - पाल एवं , 10 - अम्बष्ट पुत्र
ये दस अंतकृत केवली भगवान महावीर स्वामी के काल में हुए हैं।

प्रश्न 23 - अनुत्तरोपपादिक दशांग में किस विष्य का वर्णन किया गया है?

उत्तर - अनुत्तरोपपादिक दशांग में, विजय, वैजयंत, जयंत अपराजित और सर्वार्थसिद्धि इन पांच अनुत्तरों में जन्म लेने वाले मुनियों का वर्णन है। प्रत्येक तीर्थंकर के समय में दश मुनि घोर उपसर्ग सहन करके, इन उपरोक्त विमानों में जन्म लेते हैं।

प्रश्न 24 - अनुत्तरोपपादिक दशांग में पदों की संख्या कितनी है?

उत्तर - अनुत्तरोपपादकि दशांग में पदों की संख्या बानवे लाख, चवालिस हजार है।

प्रश्न 25 - भगवान महावीर स्वामी के तीर्थ काल में घोर उपसर्ग सहन करके विजयादिक विमानों में जन्म लेने वाले दश मुनियों के नाम बताइये।

उत्तर - 1 ऋषिदास 2 वान्य 3 सुनक्षत्र 4 कार्तिक 5 नंदनंदन 6 शालिभद्र 7 अभय 8 वारिषेण 9 चिलात पुत्र 10 श्री।

प्रश्न 26 - प्रश्न व्याकरण किस प्रकार का वर्णन करता है?

उत्तर - प्रश्न व्याकरण में युक्ति और नयों के द्वारा अनेक आक्षेप, विक्षेप रूप प्रश्न उत्तर हैं तथा सभी में लौकिक वैदिक अर्थों का निर्णय किया गया है।

प्रश्न 27 - प्रश्न व्याकरण में पदों की संख्या कितनी हैं?

उत्तर - प्रश्न व्याकरण में तिरानवे लाख सोलह हजार पद हैं।

प्रश्न 28 - विपाकसूत्र में किसका कथन किया गया है?

उत्तर - विपाकसूत्र में पुण्य और पाप के फल का विचार किया गया है।

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प्रश्न 29 - विपाकसूत्र में कितने पद हैं?

उत्तर - विपाकसूत्र में अठारह लाख चालिस हजार पद हैं।

प्रश्न 30 - दृष्टिवाद किस विषय का वर्णन करता है?

उत्तर - दृष्टिवाद में 363 पाखंड मतों का निरूपण किया गया है तथा खंडन किया गया है।

प्रश्न 31 - दृष्टिवाद के पदों की संख्या कितनी है?

उत्तर - दृष्टिवाद में दस करोड छियासी लाख पिचासी हजार छः सौ पांच पद हैं।

प्रश्न 32 - तीन सौ त्रेसठ पाखंड मत किस प्रकार हैं?

उत्तर - क्रियावादियों के 180 भेद, अक्रिया वादियों के 84, अज्ञानवादियों के 69, वैनयिकों के 32 भेद हैं इस प्रकार कुल 363 पाखंड मत हैं।

प्रश्न 33 - क्रिया वादियों के कुछ नाम बताइये।

उत्तर - कोल्कल, काणेविद्धि, कौशिक, हारिस्मश्र, मांछपिक, रोमश, हरित, मुंड एवं आश्वलाइन आदि।

प्रश्न 34 - अक्रिया वादियों के कुछ नाम बताइये।

उत्तर - मारिच कुमार, उल्श्क, गाग्र्य, व्याध्र-भूति, बाहूबलि, माठर एवं मौदगलायन आदि।

प्रश्न 35 - अज्ञानवादियों के कुछ नाम बताइये।

उत्तर - साकल्य, वल्कल, कुद्युमि, सात्यमुग्र, नारायण, कंठ, माध्यन्दिन, मौद, पैप्पलाद, बादरायण, अम्बष्ठि, कृदै विकायन, बस एवं जैमिनी आदि।

प्रश्न 36 - वैनयिकों के नाम बताइये।

उत्तर - वशिष्ठ, पाराशर, जतुकर्णि, बाल्मीकि, रौमहर्षिणी सत्य-दत्त, व्यास, एलापुत्र, ओपमन्यव, इन्द्रदत्त, अय स्थण आदि।

प्रश्न 37 - दृष्टिवाद के पांच भेद हैं- 1 - परिकर्म
2 - सूत्र
3 - प्रथमानुयोग
4 - पूर्वगत एवं
5 - चूलिका

प्रश्न 38 - परिकर्म किसे कहते हैं?

उत्तर - जो पूरी तरह से गणित सूत्रों से घिरा हुआ है वह है परिकर्म।

प्रश्न 39 - परिकर्म के कितने भेद हैं।

उत्तर - परिकर्म के पांच भेद हैं।

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