।। उपाध्याय परमेष्ठी ।।

प्रश्न 83 - प्रत्याख्यान पूर्व किसे कहते हैं?

उत्तर - जिसमें व्रत, नियम, प्रतिक्रमण, तप प्रतिलेखन, कल्प उपसर्ग आचार, आराधना, विशुद्धि का उपक्रम आदि व मुनियों के आचरण आदि का कारण, परमित अपरमित द्रव्य के प्रत्याख्यान आदि का वर्णन है उसे प्रत्याख्यान पूर्व कहते हैं।

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प्रश्न 84 - प्रत्याख्यान पूर्व में पदों की संख्या कितनी हैं?

उत्तर - इसमें पदों की संख्या चैरासी लाख है।

प्रश्न 85 - विद्यानुवाद पूर्व किसे कहते हैं?

उत्तर - जिसमें समस्त विद्यायें, आठा महानिमित्त, उनका विषय, रज्जु राशिविधि, क्षेत्र, श्रेणी, लोक प्रतिष्ठा, समुदघात आदि का विवेचन है, अंगुष्ठ प्रेसेनादि 700 अल्प विद्यायें और रोहिणी आदि 500 महाविद्यायें होती हैं वह विद्यानुवाद पूर्व कहलाता है।

प्रश्न 86 - विद्यानुवाद पूर्व की पद संख्या बताइये।

उत्तर - इसमें एक करोड़ दस लाख पद हैं।

प्रश्न 87 - कल्याण वादपूर्व किसे कहते हैं?

उत्तर - जिसमें सूर्य, चन्द्र, ग्रह नक्षत्र, तारागणों का गमन, क्षेत्र, उत्पाद क्षेत्र, शकुन आदि का वर्णन, तीर्थंकरों के पंच कल्याणकों का जिसमें वर्णन है वह कल्याणवाद पूर्व है।

प्रश्न 88 - कल्याणवाद पूर्व में पदों की संख्या बताइये।

उत्तर - कल्याणवाद पूर्व में पदों की संख्या छब्बीस करोड़ है।

प्रश्न 89 - प्राणवाय पूर्व किसे कहते हैं?

उत्तर - जिसमें काय चिकित्सा, आठ अंग, आयुर्वेद भूति कर्म, जांगुलि प्रक्रम, प्राणयाम के विभाग का विस्तार से वर्णन है वह प्राणावाय पूर्व है।

प्रश्न 90 - प्राणावाय पूर्व में पदों की संख्या कितनी है?

उत्तर - प्राणावाय पूर्व में तेरह करोड़ पद हैं।

प्रश्न 91 - क्रिया विशाल पूर्व में किसका वर्णन रहता है?

उत्तर - इसमें लेखन क्रिया, पुरूषों की बहत्तर कलायें, स्त्रियों की चैसठ कलायें, शिल्प, काव्य गुण, दोष छनद क्रिया, क्रिया का फल, तथा उसके भोक्त आदि का वर्णन रहता है।

प्रश्न 92 - क्रिया विशाल पूर्व में पदों की संख्या का प्रमाण क्या है?

उत्तर - क्रिया विशाल पूर्व में आठ करोड़ पद हैं।

प्रश्न 93 - लोक बिन्दुसार में किसका वर्णन किया गया है?

उत्तर - इसमें आठा प्रकार के व्यवहार, चार बीज राशि, परिकर्म आदि गणित समस्त श्रुत सम्पत्ति का वर्णन है।

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प्रश्न 94 - लोक बिंदु सार पूर्व में कितने पद हैं?

उत्तर - लोक बिंदुसारपूर्व में बारह करोड़ पचास लाख पद हैं।

प्रश्न 95 - उपाध्याय परमेष्ठी का दूसरा लक्षण क्या है?

उत्तर - जो तत्काल के लगभग सभी शस्त्रों के ज्ञाता होते हैं वे उपाध्याय परमेष्ठी कहलाते हैं।

प्रश्न 96 - जैनागम के ग्रन्थ को चार भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

उत्तर - जैनागम के ग्रन्थो को चार भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

प्रश्न 97 - ये चार भाग कौन-कौन से हैं?

उत्तर - प्रथमानुयोग, करणानुयोग, चरणानुयोग एवं द्रव्यनुयोग।

प्रश्न 98 - प्रथमानुयोग के कुछ ग्रन्थों के नाम बताइये।

उत्तर - आदि पुराण, उत्तर पुराण, पद्म पुराण, चैबीसी पुराण, पांडव पुराण, श्रोणि चरित्र, क्षत्र चूड़ामणि, गद्य चिन्तामणि, हरिवंश पुराण, श्रीपाल, चरित्र, जीवंधर चम्बू, शांति पुराण, चैबीसी पुराण, महापुराण, यशः तिलक चम्पू, चंदा प्रभु चरितम्, धर्मशर्माभ्युदय।

प्रश्न 99 - करणानुयोग के कुछ ग्रन्थों के नाम बताइये।

उत्तर - तिल्लोय पण्णत्ति, जम्बूद्वीप पण्णत्ति, त्रिलोक भास्कर, जैन ज्यार्तिलोक, लब्धिसार, क्षपणासार, त्रिलोकससार, गोमट्टसार, षट्खंडागम धवलाटीका, कषाय पाहुड़ जयधवला टीका, महाबंध महाधवला टीका, कर्म प्रकृति, योगसार।

प्रश्न 100 - चरणनुयोग के कुछ ग्रन्थों के नाम बताइये।

उत्तर - रत्नकरण्ड श्रावकाचार, छहढाला, मूलाचार, भगवती आराधना, अमितगति श्रावकाचार, प्रवचनसार, नियमसार, रयणसार चारित्रसार, अनगार धर्मामृत, सागर धर्मामृत, पुरूषार्थ सिद्धियुपाय।

प्रश्न 101 - द्रव्यानुयोग के कुछ ग्रन्थों के नाम बताइये।

उत्तर - समय-सार, नियमसार, द्रव्य संग्रह मोक्ष शास्त्र, पंचास्तिकाय, परम प्रकाश, समाधिशतक, इष्टोपदेश, तत्वार्थ राजवार्तिक, सवार्थसिद्धि

प्रश्न 102 - प्रथमानुयोग क्या है?

उत्तर - जिसमें चारों पुरूषार्थ, त्रेषठ शलाका के पुरूषों के चरित्र तथा पुण्य आश्रव कराने वाली कथाओं का वर्णन होता है वह प्रथमानुयोग है।

प्रश्न 103 - करणानुयोग किसे कहते हैं?

उत्तर - जो सम्यग्ज्ञान लोक अलोक के विभागों को, युग के परिवर्तनों को चारों गतियों को दपर्णवत् झलकाता है वह करणानुयोग है।

प्रश्न 104 - चरणानुयोग किसे कहते हैं?

उत्तर - जो सम्यग्ज्ञान मुनि श्रावकों के चरित्र की उत्पत्ति, वृद्धि आदि को बताता है वह चरणानुयोग है।

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