।। उपाध्याय परमेष्ठी ।।

प्रश्न 61 - मायागता चूलिका किस विषय का वर्णन करती है?

उत्तर - मायागता चूलिका, मायावी रूप, इन्द्रजाल (जादूगरी) विक्रिया के कारण मंत्र तंत्र तपश्चरण् आदि का वर्णन करती है।

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प्रश्न 62 - मायागता चूलिका में पदों की संख्या कितनी है?

उत्तर - मायागता चूलिका में पदों की संख्या दो करोड़ सत्तानवे लाख नौ हजार दो सौ पांच है।

प्रश्न 63 - आकाशगत चूलिका का वर्णन विषय क्या है?

उत्तर - आकााशगता चूलिका में आकाश में गमन करने के कारण मंत्र तंत्र तपश्चरण आदि का कथन आता है।

प्रश्न 64 - आकाश गत चूलिका में कितने भेद हैं?

उत्तर - आकाशगता चूलिका में दो करोड़ सत्तानवे लाख नौ हजार दो सौं पांच पद हैं।

प्रश्न 65 - रूपगता चूलिका में किसका वर्णन आता है?

उत्तर - रूपगता चूलिका में सिंह, हाथी, घोड़ा, मृग खरगोश बैल, व्याघ्र आदि के रूप बदलने के कारण मंत्र तंत्र, तपश्चरण तथा चित्र काष्ठ, लेप्य, उत्खनन आदि वादों का कथन आता है।

प्रश्न 66 - पूर्व कितने हैं?

उत्तर - पूर्व चैदह हैं।

प्रश्न 67 - उत्पाद पूर्व किसे कहते हैं?

उत्तर - काल पुद्गल जव आदि की जिस काल क्षेत्र में उत्तपत्ति होती है उन सबका वर्णन जिसमें होता है उसे उत्पाद पूर्व कहते हैं।

प्रश्न 68 - उत्पादपूर्व में पदों की संख्या कितनी हैं?

उत्तर - उत्पादपूर्व में एक करोड़ पद हैं।

प्रश्न 69 - अग्रायणी पूर्व में किसका वर्णन किया गया है?

उत्तर - इसमें क्रियावादियों की प्रक्रिया अग्रणी के समान अंगादि तथा स्व समय के विषय का विवेचन किया गया है।

प्रश्न 70 - अग्राणी में पदों की संख्या कितनी है?

उत्तर - अग्रायणी में छियानवे लाख पद हैं।

प्रश्न 71 - वीर्यानवाद पूर्व किसे कहते हैं?

उत्तर - जिनवाणी के जिस पूर्व में, छदमस्थ तथा केवलियों की शक्ति, सुरेन्द्रादि की ऋद्धि नरेन्द्र चक्रवर्ती आदि की सामथ्र्य और द्रव्यों का समीचीन लक्षण आदि का वर्णन है वह वीर्यानुवाद पूर्व कहलाता है।

प्रश्न 72 - वीर्यानुवाद पूर्व में कितने पद है?

उत्तर - वीर्यानुवाद पूर्व में पदों की संख्या सत्तर लाख है।

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प्रश्न 73 - अस्ति नास्ति पूर्व में किसका वर्णन आता है?

उत्तर - इसमें जीव पुद्गल, धर्म अर्धम और आकाश इन पांचों अस्तिकायों का तथा नयों के अस्ति नास्ति सप्त भंगों का विशेष रूप से वर्णन आता है।

प्रश्न 74 - इसमें पदों की संख्या कितनी है?

उत्तर - इसमें पदों की संख्या साठ लाख है।

प्रश्न 75 - ज्ञान प्रवाद पूर्व में किसका वर्णन आता है।

उत्तर - इसमें प्रादर्भावा विषयों के आयतन स्वरूप ज्ञानियों के पांचों ज्ञानों का अज्ञानियों के विषयों के आयतन और इन्द्रियों का विभाग किया जाता है।

प्रश्न 76 - ज्ञान प्रवाद पूर्व में कितने पद हैं?

उत्तर - ज्ञान प्रवाद पूर्व में निन्यानवे लाख निन्यानवे हजार नौ सौ निन्यानवे पद हैं अर्थात एक कम एक करोड़ पद हैं।

प्रश्न 77 - सत्यप्रवाद का क्या विषय है?

उत्तर - जिनवाण ीके जिस पूर्व में वचन गुप्ति, वचन संस्कार के कारण, वचन के प्रयोग, बारह प्रकार की भाषा, वक्ता के अनेक प्रकार, मृषाधान और दस प्रकार के सत्यों का विवेचन है। वह सत्य प्रवाद पूर्व है।

प्रश्न 78 - सत्यप्रवाद पूर्व के पदों की संख्या कितनी है?

उत्तर - सत्यप्रवाद पूर्व में एक करोड़ छः पद हैं।

प्रश्न 79 - उत्म प्रवाद पूर्व किसे कहते हैं?

उत्तर - जिसमें आत्मा का अस्तित्व नित्यत्व, भोक्तत्व आदि, धर्म और षट्काय के जीवों के भेदों का युक्ति से निरूपण किया गया है। वह आत्म प्रवाद पूर्व है।

प्रश्न 80 - आत्म प्रवाद में कितने पद हैं?

उत्तर - आत्म प्रवाद में छब्बीस करोड़ पद हैं।

प्रश्न 81 - कर्म प्रवाद पूर्व किसे कहते हैं?

उत्तर - जिसमें कर्मों के बंध, उदय, उदारीकरण, उपशम आदि दशााओं का तथा जघन्यमध्यम, उत्कृष्ट स्थित, प्रदेश समूहों का वर्णन किया जाता है वह कर्म प्रवाद पूर्व है।

प्रश्न 82 - कर्म प्रवाद पूर्व में पदों की संख्या क्या है?

उत्तर - कर्म प्रवाद पूर्व में एक करोड़ अस्सी लाख पद हैं।

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